Sunday, September 29, 2019

विश्‍व हिंदू परिषद गुरुग्राम में शुरू करेगा वेद यूनिवर्सिटी, पेड़ों के नीचे होगी पढ़ाई

विश्‍व हिंदू परिषद गुरुग्राम में शुरू करेगा वेद यूनिवर्सिटी, पेड़ों के नीचे होगी पढ़ाई






अशोक सिंघल वेद विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्‍वविद्यालय (Ashok Singhal Ved vigyan evam praudyogikee vishwavidyalaya) में अगले साल से पढ़ाई शुरू हो जाएगी. ये विश्‍वविद्यालय (University) गुरुग्राम में तैयार हो रहा है.


पुराने समय को ध्‍यान में रखते हुए यहां पर कुछ क्‍लास को पेड़ के नीचे भी लगाया जाएगा. जैसे प्राचीन काल में होता था. इसके अलावा वैदिक मंत्र और गीता के पाठ को सुबह से शाम तक विभिन्‍न माध्‍यमों से कैंपस में लोगों को सुनाया जाएगा.


Dev Sinthal ने सूत्रों के हवाले से बताया कि कैंपस में एक वैदिक टावर भी बनाया जाएगा, एक ऑडियो-विजुअल स्टूडियो के साथ जिसके अलग-अलग फ्लोर पर हर वेद और उससे जुड़ा साहित्य मौजूद होगा. यहां पर सुरभि सदन (गौशाला), मंदिर और मेडिटेशन हॉल के अलावा यज्ञ शाला भी होगी.



ये यूनिवर्सिटी गुरुग्राम में 39.68 एकड़ में तैयार हो रही है. इसका निर्माण कई चरणों में किया जाएगा. इसके अलावा इन सूत्रों ने बताया, ''इस यूनिवर्सिटी का उद्देश्य भारत को फिर से विश्व गुरु बनाने के साथ-साथ आधुनिक वैज्ञानिकों, तकनीक से जुड़े लोगों और वैदिक पंडितों को एक कॉमन प्लैटफॉर्म उपलब्ध कराना है, जिससे भारत के ज्ञान की एक नई और व्यापक धारा पैदा हो सके.''



'अशोक सिंघल वेद विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय' के पहले शैक्षणिक सत्र में 20 सब्जेक्ट पढ़ाए जाएंगे. इसमें जो विषय पढ़ाए जाएंगे, वह इस तरह हैं. इनमें एग्रीकल्‍चर (कृषि तंत्रम), आर्किटेक्‍चर (वास्‍तु तंत्रम), एनवायरमेंट साइंस पेलियोग्राफी (लिपि विज्ञान), वारफेयर (युद्धतंत्रम). इसके अलावा दूसरे विषय भी यहां पर पढ़ाए जाएंगे.


सूत्रों के मुताबिक, यह यूनिवर्सिटी नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2019 का भी पालन करेगी, जिसके जल्द ही फाइनल होने की संभावना है.

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"#बाज़ के बच्चे #मुँडेर पर नही उड़ते।"

बाज पक्षी जिसे हम #ईगल या #शाहीन भी कहते है। जिस उम्र में बाकी परिंदों के बच्चे चिचियाना सीखते है उस उम्र में एक मादा बाज अपने चूजे को पंजे में दबोच कर सबसे ऊंचा उड़ जाती है।  पक्षियों की दुनिया में ऐसी Tough and tight training किसी भी ओर की नही होती।

मादा बाज अपने चूजे को लेकर लगभग 12 Kmt.  ऊपर ले जाती है।  जितने ऊपर अमूमन जहाज उड़ा करते हैं और वह दूरी तय करने में मादा बाज 7 से 9 मिनट का समय लेती है।

 यहां से शुरू होती है उस नन्हें चूजे की कठिन परीक्षा। उसे अब यहां बताया जाएगा कि तू किस लिए पैदा हुआ है? तेरी दुनिया क्या है? तेरी ऊंचाई क्या है? तेरा धर्म बहुत ऊंचा है और फिर मादा बाज उसे अपने पंजों से छोड़ देती है।

धरती की ओर ऊपर से नीचे आते वक्त लगभग 2 Kmt. उस चूजे को आभास ही नहीं होता कि उसके साथ क्या हो रहा है। 7 Kmt. के अंतराल के आने के बाद उस चूजे के पंख जो कंजाइन से जकड़े होते है, वह खुलने लगते है।

लगभग 9 Kmt. आने के बाद उनके पंख पूरे खुल जाते है। यह जीवन का पहला दौर होता है जब बाज का बच्चा पंख फड़फड़ाता है।

अब धरती से वह लगभग 3000 मीटर दूर है लेकिन अभी वह उड़ना नहीं सीख पाया है। अब धरती के बिल्कुल करीब आता है जहां से वह देख सकता है उसके स्वामित्व को। अब उसकी दूरी धरती से महज 700/800 मीटर होती है लेकिन उसका पंख अभी इतना मजबूत नहीं हुआ है की वो उड़ सके।

धरती से लगभग 400/500 मीटर दूरी पर उसे अब लगता है कि उसके जीवन की शायद अंतिम यात्रा है। फिर अचानक से एक पंजा उसे आकर अपनी गिरफ्त मे लेता है और अपने पंखों के दरमियान समा लेता है।
यह पंजा उसकी मां का होता है जो ठीक उसके उपर चिपक कर उड़ रही होती है। और उसकी यह ट्रेनिंग निरंतर चलती रहती है जब तक कि वह उड़ना नहीं सीख जाता।

यह ट्रेनिंग एक कमांडो की तरह होती है।. तब जाकर दुनिया को एक बाज़ मिलता है अपने से दस गुना अधिक वजनी प्राणी का भी शिकार करता है।

हिंदी में एक कहावत है... "बाज़ के बच्चे मुँडेर पर नही उड़ते।"
बेशक अपने बच्चों को अपने से चिपका कर रखिए पर  उसे दुनियां की मुश्किलों से रूबरू कराइए, उन्हें लड़ना सिखाइए। बिना आवश्यकता के भी संघर्ष करना सिखाइए।

वर्तमान समय की अनन्त #सुख #सुविधाओं की आदत व अभिवावकों के बेहिसाब लाड़ प्यार ने  मिलकर,  आपके बच्चों को "#ब्रायलर #मुर्गे" जैसा बना दिया है जिसके पास मजबूत टंगड़ी तो है पर चल नही सकता। वजनदार पंख तो है पर उड़ नही सकता क्योंकि..

_"गमले के पौधे और जंगल के  पौधे में बहुत फ़र्क होता है।